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मुंबई हमले ने बदल दी आंतरिक सुरक्षा की तस्वीर

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मुंबई हमले ने बदल दी आंतरिक सुरक्षा की तस्वीर

मुंबई में हुए आतंकी हमले की गुरुवार को 12वीं बरसी है। 26 नवंबर के दिन 2008 को समुद्र के रास्ते पाकिस्तान से आए 10 आतंकवादियों ने देश की राजधानी मुंबई में हिंसा और रक्तपात का ऐसा खूनी खेल खेला था। की पूरी दुनिया चौक गई थी मुंबई में हमले के बाद बहुत कुछ बदल गया भारत और पाकिस्तान के रिश्ते काफी स्तर पर खराब पहुंच गए हैं भारत की सरकार ने इस हमले को देखते हुए काफी ठोस कदम उठाए हैं। देश की सुरक्षा के लिए खुफिया एजेंसियों के बीच आपस का जो तालमेल है उनके बीच की बाधाओं को दूर किया गया था और उनके बीच मजबूत संवाद स्थापित किया गया था इसके चलते भारत में जितने आतंकी हमले हुए उन को विफल करने में सफल हो गए।

मुंबई में जो हमला हुआ था उसको खुफिया एजेंसियों को जिम्मेदार बताया गया था सरकार ने इस हमले के बाद पुलिस और कानून में काफी सुधार किए हैं। लेकिन रिसर्च करने के पूर्व प्रमुख एसएस दलोद का कहना है कि कोई खुफिया नाकामी नहीं हुई थी हमले की खुफिया जानकारी मिली थी और उसे सुरक्षा से जुड़े संबंधित विभागों तक पहुंचा दिया गया था उस घटना के बाद भारत की सरकार ने सभी एजेंसियों के बीच में मजबूत सूचना तंत्र स्थापित किया ।। टा्इडेंर होटल्, सायन अस्पताल विटी रेलवे स्टेशन और यहूदी पूजा स्थल पर लश्कर-ए-तैयबा आतंकी हमले में 18 सुरक्षाकर्मी में 166 लोगों की मौत हुई थी। करीब 60 घंटे तक आतंकवादी ने होटल और कई दूसरे स्थानों को बंधक बनाकर रखा था इस हमले में तीन सौ से ज्यादा लोग घायल हुए थे आतंकी भी मारे गए और एक को जिंदा जला दिया गया।

यह पाकिस्तान से आतंकी समुद्र के रास्ते मुंबई पहुंचे थे हमले के बाद सरकार ने इस ओर ध्यान केंद्रित किया और देश की तटों की सुरक्षा को मजबूत किया भारतीय तटों की सुरक्षा की जिम्मेदारी नौसेना को सौंप दी गई इंडिया पोस्ट कार्ड इस काम में उसकी मदद करता है समुंद्र पुलिस की स्थापना की गई राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड एनएसजी के कमांडो उस समय हवाई अड्डे पर 8 घंटे तक इंतजार करते रह गए थे और उन्हें विमान नहीं मिला इस तरह के खुफिया को दूर किया गया अब नियम बदल गए हैं अब लोगों की सुरक्षा और सेवा के लिए डीजी को भारत में रजिस्टर किसी भी ऑपरेटर से विमान लेने का अधिकार है।

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