Kisan neta ne punjabi me likha marenge ya jeetenge
दिल्ली

Kisan neta ne punjabi me likha marenge ya jeetenge – सरकार के साथ बातचीत के दौरान किसान नेता बलवंद सिंह ने पंजाबी में ‘ मरेंगे या जीतेंगे ‘ लिखी पर्ची दिखाई

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Kisan neta ne punjabi me likha marenge ya jeetenge – कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं परमरेंगे या जीतेगी ’ प्रदर्शन कर रहे किसानों और केंद्र सरकार के बीच बातचीत का आठवां दौर भी बेनतीजा रहा। किसानों ने शुक्रवार की वार्ता में दो टूक कहा कि कानून वापसी होगी, तभी घर वापस होगी। कुछ किसानों ने ‘ मरेंगे या जीतेंगे ‘लिखी पर्चियां भी दिखाई। कृषिमंत्री नरेंद्रसिंह तोमर ने भी साफ कर दिया कि कानून वापस नहीं होंगे। अच्छा हो कि अब सुप्रीम कोर्ट फैसला करे। हालांकि, हल न निकलने के बावजूद दोनों पक्ष 15 जनवरी को फिर वार्ता को राजी हो गए।

विज्ञान भवन में करीब तीन घंटे तक चली वार्ता में 41किसान संगठनों के प्रतिनिधि और कृषिमंत्री तोमर के साथ रेलमंत्री पीयूष गोयल व वाणिज्य राज्यमंत्री सोमप्रकाश शामिल हुए। किसानों ने कड़े तेवर अपनाते हुए कहा, हमें बहस नहीं करनी, सरकार कानून वापस ले। सरकार ने जवाब में इस मांग को खारिज करते हुए दोहराया की कानूनों के प्रावधानों पर बातचीत की जा सकती है। कई राज्यों के किसानों के बड़े समूह ने कानूनों का स्वागत किया है। किसानों को पूरे देश का हित समझाना चाहिए। बातचीत से पहले तुम मरने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी। वही, अखिल भारतीय किसान सभा ने कहा, बैठक का माहौल गर्म था। हमने कह दीया कि कानून वापसी के सिवा कुछ मंजूर नहीं। हम किसी अदालत में नहीं जाएंगे। कानून वापस लो, नहीं तो हमारी लड़ाई चलती रहेगी। 26 जनवरी को हमारी परेड होगी।

केंद्र सरकार और किसानों के बीच तीन घंटे चली आठवें दौर की बैठक में सिर्फ अगली बातचीत की तारीख तय हो सकी। पहले हुई बैठक को में सरकार का रुख आमतौर पर नरम रहता था, जबकि किसान संगठनों का रुख गरम। लेकिन इस बैठक में दोनों पक्षों में गर्म तेवर अपनाए। किसान नेता बलवीर सिंह राजेवाल, हन्नना मुरला और केंद्रीय कृषिमंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के बीच गरमागरम बहस का दौर चला, मगर नतीजा कुछ नहीं निकला

Komal rani

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