आज हम आपको दुनिया के सबसे चमत्कारी रहस्यमयी जगह से रूबरू कराएंगे, जहां स्वयं श्रीकृष्ण के आने का दावा किया जाता है, द्वापरयुग से चला आ रहा है निधिवन का रहस्य, कहा जाता है रात्रि के समय भगवान श्रीकृष्ण स्वयं यहां आते है और गोपियों के साथ रास करते हैं और फिर रंग महल में जाकर विश्राम करते है
इन सभी रहस्यों का विज्ञान के पास भी अब तक कोई जवाब नहीं? निधिवन का नाम सुनते ही लोगो के मन में हजारों सवाल उत्पन्न हो जाते हैं
यकीन आप सबके मन मे भी ये कुछ सवाल उठे ही होंगे ।
क्या सच में अर्ध रात्रि 12 बजे स्वम आते है श्रीकृष्ण भगवान यहा रास रचाने आते है राधा कृष्ण?
क्या निधिवन में मौजूद पेड़ रात के समय गोपियों का रूप धारण कर लेते हैं?
क्या स्वयं श्री कृष्ण भगवान राधा रानी का अपने हाथों से श्रृंगार करते हैं?
क्या गिली दातुन और आधा लड्डू भगवान श्री कृष्ण खाते है और बचा हुआ आधा समान अपने भगतो के लिए प्रसाद के रूप मे छोड़ देते है?
ऐसे न जाने कितने सवाल आप सभी के मन में उठ रहे होगें, आज हम आपको इन सभी सवालों के जवाब देंगे। तो आइए जानते है इस हक़ीक़त का फ़साना
निधिवन
भगवान श्रीकृष्ण की प्रिय नगरी वृंदावन धाम में स्थित है निधिवन अत्यंत पवित्र, मनमोहक ,रहस्यमयी जगह है | यह जगह लोगों की श्रद्धा,भक्त और आस्था का प्रतीक है।
भगवान के दर्शन के लिए यहां हजारों श्रद्धांलु आते हैं| निधिवन में जो वृक्ष हैं वह साक्षात् भगवन श्री कृष्ण राधा और गोपियाँ का स्वरूप माने जाते है बता दे की ये सभी वृक्ष तुलसी के हैं। निधिवन में लगभग 16 हजार 150 वृक्ष है और कमाल की बात ये है कि ये सभी पेड़ तुलसी के है जी है सही सुना आपने ये सभी पेड़ तुलसी के है। इन वृक्षों की यह खासियत है कि आपको इनमें से किसी भी वृक्ष के तने सीधे नहीं मिलेंगे और इन वृक्षों की डालियां नीचे की ओर झुकी हुई मिलेंगी लोगी की आस्था अनुसार ये बताया जाता ह की ये सभी पेड गोपियो का रूप है जो भगवान श्री कृष के चरणों मैं रहना चाहती है उनसे कभी उप्पेर उठना नही चाहती । इसके अलावा एक हक़ीवत ये भी है की ये सभी व्रक्ष बिना पानी दिए हरे भरे रहते हैं |
|यहां पर मौजूद पशु पक्षी को भी रात में रूकने की इजाजत नहीं, कहा जाता है, रात्रि में जो भी यहां छुप जाता हैं, और भगवान श्री कृष्ण का रास देखने की कोशिश करता है वह अंधा,पागल या इस संसार के सांसरिक भोगों से मुक्त हो जाता है, सांयकाल आरती के बाद निधिवन पूरी तरह से खाली हो जाता है| एक चीटी का तिनका भी वहां मौजूद नहीं होता | यहां तक की निधि वन के आसपास बने मकानों में खिड़कियां नहीं हैं। यहां के निवासी बताते हैं कि शाम सात बजे के बाद कोई इस वन की तरफ नहीं देखता। और जिन मकानों में खिड़कियां हैं भी, उनके घर के लोग सांय आरती का घंटा बजते ही खिड़कियां बंद कर लेते हैं। ऐसा बताया जाता है कि कुछ लोगों ने तो अपनी खिड़कियों को ईंटों से बंद भी करा दिया है।
हुम् आपको बता दे कि सायं आरती के बाद रंगमहल के गवगृह में सात ताले लगाए जाते हैं, अगली सुबह 4:30 बजे मंगलआ आरती के समय जब मंदिर के पुजारी मंदिर का मुख्य द्वार खोलते हैं ,गव गृह से वो सातों ताले खोले जाते है, उसके बाद जो दिखता है, वो चौकाने वाला होता है, ..वो कुछ और ही होता है । सात तालों के भीतर भगवान श्री कृष्ण के आने की निशानी –
गीली दांतुन , प्रसाद का लड्डू खाया हुआ
श्रृंगार का समान बिखरा हुआ, पान चबा हुआ
इन सभी चीजों को देखने के बाद यह साफ हो जाता है कि आज भी भगवान आते हैं, अगर हम बात यहां विज्ञान की करे तो उनका मानना है कि लोगो की आस्था ,भगति सुच पेर भहरी है।। अब आपके मन मे एक जिज्ञासा उत्पन हुई होगी जो कि उठना लाज़मी भी है अब आप सोच रहे होंगे कि क्यों ना हम खुद वहां निधिवन मैं रात मैं रुक कर देखे ..जिस से दूद का दूद और पानी का पानी हो जाएगा …क्यों सही कहा ना हमने …पर रुकिए
अब हम आपको एक ऐसे शख्स के बारे में बताएगें , जिसने निधिवन में छुपकर रात्रि में श्री कृष्ण रास लीला देखने की कोशिश की, इसका नतीजा यह हुआ कि वह पागल हो ग ए, आज भी उसकी समाधि निधिवन में हैं | श्री कृष्ण के अनन्य भक्त होने के कारण उनकी मौत के पश्चात मंदिर कमेटी
ने निधि वन में ही उनकी समाधि बनवा दी।
तो यही खत्म होता है हमारा हक़ीक़त का सिलसिला ।
Article by – Rashi Bansal